Shiv chaisa - An Overview
Shiv chaisa - An Overview
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किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
Whosoever gives incense, prasad and performs arti to Lord Shiva, with like and devotion, enjoys product happiness and spiritual bliss Within this planet and hereafter ascends to your abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva eradicated the struggling of all and grants them eternal bliss.
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ आप जलंधर असुर संहारा ।
अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
O Lord! I beseech Your assist and find your divine blessing at this very second. Preserve and guard me. Destroy my enemies using your Trishul. Launch me from your torture of evil thoughts.
संकट से मोहि आन उबारो ॥ मात-पिता भ्राता सब होई ।
बृहस्पतिदेव की कथा
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
अर्थ: हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने more info वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में shiv chalisa lyricsl डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती। हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश shiv chalisa lyricsl कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र